Monday, June 27, 2011

प्रजा का राजा

प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम् ।
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम् ।।
{राज्ञः सुखं प्रजासुखे, प्रजानां च हिते (तस्य) हितम्, आत्मप्रियं राज्ञः हितं न, (अपि) तु प्रजानां प्रियं हितम् ।}
प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; अर्थात् जब प्रजा सुखी अनुभव करे तभी राजा को संतोष करना चाहिए । प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है । वैयक्तिक स्तर पर राजा को जो अच्छा लगे उसमें उसे अपना हित न देखना चाहिए, बल्कि प्रजा को जो ठीक लगे, यानी जिसके हितकर होने का प्रजा अनुमोदन करे, उसे ही राजा अपना हित समझे ।

इसलिए हम भ्रष्टाचार से लड़ रहे सभी संतो और व्यक्तियों को प्रजा का राजा मानते हुए रामदेव जी के अनशन तोड़ने के निर्णय की सराहना करते हैं !

4 जून के काण्ड के समीक्षा

विशेष - हम न तो किसी दल के सदस्य हैं और न ही किसी संगठन के,, जो भी विचार हैं वो हमारे अपने हैं !

कौटिल्य नीति के अनुसार अच्छा राजा वो है जो आक्रमण करता है और वो भी है जो जो पराजय को सामने देखकर पीछे हट ता है जिससे पुनः शक्ति एकत्र कर के अन्याय के खिलाफ युद्ध कर सके ! राजनीति के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सीख पराजय से ही मिलती है - १. विनम्रता २. शत्रु के प्रति सम्मान
३. युद्ध नीति का पुनः निरीक्षण और कमियों को दूर कर नई योजना को तैयार करना  ४. अपने असल शत्रु और मित्र की पहचान !

हमारी नीति के अनुसार - विश्व का हर अच्छा शिकारी आखेट करने से पहले एक कदम पीछे हटता है - उदहारण स्वरुप १. धनुष की प्रत्यंचा २. सर्प ३. सिंह ४. काँटा इत्यादी, ये हमें प्रकृति ही सिखाती है !
अतः बाबा रामदेव जी का ४ जून को राम लीला मैदान से हटना अत्यंत आवश्यक था क्योंकि वर्तमान में वही एक व्यक्ति हैं जो हमारे भारत को इन वैश्विक कंपनियों और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकते हैं, और बाबा रामदेव अपने अहंकार  के लिए नहीं लड़ रहें हैं बल्कि भारतीय जनता की भलाई के लिए लड़ रहें हैं !

हमारा प्रश्न : हमारे सामने अब कोई विकल्प नहीं है किसी भी राजनैतिक दल के रूप में, इसका क्या समाधान हो सकता है ?

बाबा रामदेव या अन्ना हजारे के विरोध में बोलने वाले बगुला भगत लोगों से सावधान रहें क्योंकि इनको देश और समाज को तोड़ने में महारथ हासिल है और कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी अगर इनके विरोध में इनका स्वार्थ जुड़ा हो क्योंकि हर घूसखोर इस समय इनका विरोध कर रहा है !

क्या कोई बता सकता है कोई विकल्प या कोई रास्ता इस दलदल से बाहर निकलने का ,बाबा रामदेव ने घोषणा कर दी - राजनैतिक दल नहीं बनायेंगे ! अन्ना हजारे से ऐसे कोई उम्मीद रखना बेकार है - वो लोकपाल बिल पर ही समर्पित हैं और वो भी इस दिशा में नहीं सोचते ! एक नैतिक मूल्यों के आधार वाला कोई राजनैतिक दल है नहीं इस समय देश में, जाति, धर्म और परिवार पूजक दल ही है इस समय देश में, गुंडों को खुली छूट है चुनाव लड़ने की और उनकी ताकत और पैसे के आगे एक आम आदमी सोच भी नहीं सकता चुनाव लड़ने के विषय में, आज हालत ये है कि हर असफल आदमी नेतागिरी को ही चुन लेता है और जो घर को दिशा नहीं दे पाए वो देश को दिशा देने के लिए आगे आ जाते हैं. हमारे पास क्या विकल्प शेष रह गया है केवल अपना और देश का शोषण करवाने के बजाय. क्या कोई गारंटी है कि अगले चुनाव में जो भी पार्टी आएगी वो देश हित में काम करेगी और भ्रष्टाचार को लगभग ख़त्म कर देगी जो समाज की सबसे प्राथमिक इकाई परिवार और विद्यालयों तक में घुस चुका है

बाबा रामदेव ने घोषणा कर दी - राजनैतिक दल नहीं बनायेंगे ! अन्ना हजारे से ऐसे कोई उम्मीद रखना बेकार है - वो लोकपाल बिल पर ही समर्पित हैं और वो भी इस दिशा में नहीं सोचते ! एक नैतिक मूल्यों के आधार वाला कोई राजनैतिक दल है नहीं इस समय देश में, जाति, धर्म और परिवार पूजक दल ही है इस समय देश में, गुंडों को खुली छूट है चुनाव लड़ने की और उनकी ताकत और पैसे के आगे एक आम आदमी सोच भी नहीं सकता चुनाव लड़ने के विषय में, आज हालत ये है कि हर असफल आदमी नेतागिरी को ही चुन लेता है और जो घर को दिशा नहीं दे पाए वो देश को दिशा देने के लिए आगे आ जाते हैं.  हमारे पास क्या विकल्प शेष रह गया है केवल अपना और देश का शोषण करवाने के बजाय. क्या कोई गारंटी है कि अगले चुनाव में जो भी पार्टी आएगी वो देश हित में काम करेगी और भ्रष्टाचार को लगभग ख़त्म कर देगी जो समाज की सबसे प्राथमिक इकाई परिवार और विद्यालयों तक में घुस चुका है

Tuesday, March 1, 2011

agar

अगर आपको कोई समस्या है तो आप हमें अपने जन्म स्थान  जन्म तिथि एवं जन्म समय का विवरण दें हो सकता है कि जन्म पत्र पर चिंतन करने के बाद हम आप से समाधानों पर चर्चा कर सकें  कृपया याद रखें कि जब आप अपना अच्छा समय किसी के साथ बांटेगे तभी आपके बुरे समय में कोई आप के साथ होगा